BA Semester-5 Paper-2B History - Socio and Economic History of Medieval India (1200 A.D-1700 A.D) - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B इतिहास - मध्यकालीन एवं आधुनिक सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास (1200 ई.-1700 ई.) - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B इतिहास - मध्यकालीन एवं आधुनिक सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास (1200 ई.-1700 ई.)

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2788
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B इतिहास - मध्यकालीन एवं आधुनिक सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास (1200 ई.-1700 ई.) - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 4

सल्तनत काल में स्त्रियों की दशा

(Women's Condition in Sultanate Period)

प्रश्न- सल्तनत काल में स्त्रियों की क्या दशा थी? इस काल की एकमात्र शासिका रजिया सुल्ताना के विषय में बताइये।

अथवा
सल्तनत कालीन स्त्रियों की दशा बताते हुए रजिया सुल्ताना की राजनैतिक उपलब्धियाँ बताइए।

उत्तर -

सल्तनत कालीन स्त्रियों की दशा

स्त्री का स्थान पुरुष की तुलना में निम्नकोटि का समझा जाता था। मुस्लिम स्त्रियों को भी कम आजादी प्राप्त थी। कुरान के अनुसार एक मुसलमान चार पत्नियों का अधिकारी था, परन्तु फिर भी निम्न वर्ग में हिन्दुओं एवं मुसलमानों में अधिकतर एक ही विवाह प्रचलित था। कुछ ही राजकुमारों की एक से अधिक पत्नियाँ थीं। डेला बेले का कथन है कि, "हिन्दू केवल एक ही से विवाह करता था और उसे चरित्रहीन होने के अतिरिक्त जीवन पर्यन्त तलाक नहीं देता था।" स्त्रियों की दशा को निम्नलिखित प्रकार से दर्शाया जा सकता है -

1. पर्दा प्रथा - मुस्लिम समाज में पर्दे का रिवाज अधिक था। हिन्दुओं में स्त्री के अपहरण का भय बना रहता था।

2. बाल विवाह - तुर्क सरदार किसी सुन्दर लड़की को देखते ही उठा ले जाते थे। अतः हिन्दुओं में बाल विवाह की प्रथा जन्म ले चुकी थी।

3. सती प्रथा - हिन्दुओं में सती प्रथा प्रचलित थी। हिन्दुओं के उच्च वर्ग में 'सका विशेष स्थान था। जो स्त्री पति के साथ सोती थी उसे समरण अथवा सगमन कहा जाता था।

4. जौहर - जौहर भारतीय वीरत्व की भावना का अमूल्य प्रतीक है। राजपूतों में जौहर प्रथा प्रचलित थी।

स्त्रियों की दशा - यद्यपि पर्दा प्रथा की कठोरता के कारण महिलाओं की स्थिति पतित होती जा रही थी, परन्तु मुगलयुग में कतिपय प्रसिद्ध स्त्रियाँ हुयीं। इस युग की सम्मानित स्त्रियाँ द्वाराशिकोह की साथिन राजकुमारी जहाँआरा औरंगजेब की साथिन राजकुमारी शेशनारा, औरंगजेब की कन्या जेबुन्निसा आदि थीं जिनकी कवितायें हम आज भी सुनते हैं। अहमद नगर की चाँद बीबी, सम्राज्ञी नूरजहाँ, शिवाजी की माता जीजाबाई और महाराष्ट्र में राजाराम की रानी ताराबाई थी। परन्तु इससे तत्कालीन समाज में स्त्रियों का वास्तविक दशा का आभास नहीं होता। संक्षेप में हिन्दू नारीत्व ने धर्म व रूढ़ि से अपनी शक्ति प्राप्त करते हुए अपनी परम्पराओं को बनाये रखा था। परन्तु इस युग की साधारण प्रगति के अनुपात में महिलाओं की उन्नति के कोई प्रमाण नहीं हैं। हिन्दू स्त्रियों में सती और बाल विवाह की प्रथा प्रचलित थी।

रजिया सुल्ताना (1236-40)

वह मध्यकालीन भारत की पहली और अन्तिम मुस्लिम महिला शासिका थी। दिल्ली के नागरिकों ने पहली बार अपने-आप उत्तराधिकार के मामले का निर्णय किया था। परिणामस्वरूप रजिया ने जनवादी दृष्टिकोण अपनाकर दिल्ली के लोगों से कहा कि यदि वह उनकी अपेक्षाओं को पूरा न कर पाए तो उसे गद्दी से हटा दिया जाए। राजगद्दी पर आरूढ़ होने और किसी महिला को शासक के रूप में स्वीकार करके, तुर्की अमीर वर्ग ने अपने पौरुष और अपनी मानसिक दृढ़ता एवं विशालता का परिचय दिया था। रजिया के सिंहासनारोहण से राज्य के मामलों में मुस्लिम धर्माचार्यों या उलेमाओं की प्रभावहीनता भी स्पष्ट होती है।

रजिया का शासन साढ़े तीन वर्षों तक चला। उसने चतुर कूटनीतिज्ञ और राजनीतिज्ञ के रूप में स्वयं को अच्छी तरह पेश किया। अपने शासन के शुरू में उसने इल्तुतमिश के भूतपूर्व वजीर जुनैदी के नेतृत्व में प्रान्तीय शासकों के गठबन्धन को समाप्त कर दिया। लेकिन प्रशासन का पुनर्गठन तथा हर प्रकार के कार्यों पर सीधे नियंत्रण रखने के उसके प्रयासों का काफी विरोध हुआ। 'सने परदा करना छोड़ दिया वह पुरुषों की भाँति पोशाकें पहनने लगी तथा जनता के बीच हाथी पर जाने लगी, जोकि कट्टर मुस्लिम दृष्टिकोण से एक गंभीर अपराध था। उसके विरुद्ध दूसरी गंभीर शिकायत यह थी कि उसने एक एबिसीनियाई व्यक्ति जलालुद्दीन याकूत को पदोन्नत करके शाही अस्तबल का प्रमुख (अमीर-ए-अखुर) के रूप में नियुक्त कर दिया, जिस पर अभी तक केवल तुर्की अधिकारियों को ही नियुक्त किया जाता था। संस्थापित जातीय विशेषाधिकारियों पर रजिया के इन स्पष्ट प्रहारों के विरुद्ध विरोध ने शीघ्र ही विद्रोहों का स्वरूप ग्रहण कर लिया।

पहला विद्रोह लाहौर के गवर्नर कबीर खाँ द्वारा किया गया। रजिया ने स्वयं उसके खिलाफ मोर्चा लिया और विद्रोह को कुचल दिया। उसके पंद्रह दिनों के ही भीतर भटिण्डा के गवर्नर अल्तूनिया ने भी विद्रोह कर दिया। रजिया ने सीधे भटिण्डा की ओर कूच किया लेकिन अल्तूनिया ने 'से पराजित कर बंदी बना लिया और उससे विवाह कर लिया। विवाह के बाद वे दोनों सेना का नेतृत्व करते हुए दिल्ली की ओर बढ़े लेकिन इसी बीच दिल्ली के असंतुष्ट अमीरों ने इल्तुतमिश के दूसरे पुत्र बहराम शाह को गद्दी पर बैठा दिया। जब रजिया अपने पति के साथ दिल्ली की तरफ बढ़ रही थी, तभी उसे बहराम ने पराजित कर दिया। अपने सैनिकों द्वारा साथ छोड़ दिए जाने पर उसे लुटेरों ने मार डाला।

रजिया के पतन के कारण

जिन कारणों का विवरण किया, वे निम्न हैं-

1. रजिया का स्त्री होना - रजिया का प्रादुर्भाव जिस कालखण्ड में हुआ था, वह मध्यकाल था। इस काल में मानवीय समाज पुरातनपंथी आचार-विचारों को ढो रहा था। इस्लामी जगत जिस प्रकार की नीति के तहत भारत आया था, उस कट्टरता में नरमी बरतने के लिए कोई आसार नहीं था। वह इल्तुतमिश की सुयोग्य सन्तान थी। उसने शासन के सभी सूत्रों को एक सूत्र में करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

2. याकूत के प्रति आकर्षण - एबीसीनिया के गुलाम याकूत को उसने उसकी योग्यता के आधार पर पदोन्नत किया। कुछ इतिहासकारों के मत के अनुसार वह याकूत से यार करती थी। एक सुल्तान का गैर मुस्लिम से प्रेम करना तुर्की सरदारों को स्वयं का अपमान महसूस हुआ। याकूत के प्रति प्रेम कोई अपराध न था किन्तु चालीसा के सरदारों की महत्वाकांक्षा में वह बाधक बन रहा था।

3. आंतरिक राजनीति - रजिया का स्वयं शासन सम्हालने व अंतुर्क अमीरों के एक दल को संगठित करने का प्रयास उसके विनाश का कारण बना। रजिया के राज्यारोहण में दिल्ली की सेना, जनता और अधिकारियों का सहयोग था। अतः प्रांतीय राज्यपालों ने यह अनुभव किया कि उनकी उपेक्षा और अपमान किया गया है। इन शक्तिशाली तुर्की अधिकारियों ने प्रारंभ से ही रजिया का विरोध किया। रजिया के शासनकाल की घटनाओं से स्पष्ट है कि उसका विरोध जातीय आधार पर किया गया था।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- सल्तनतकालीन सामाजिक-आर्थिक दशा का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- सल्तनतकालीन केन्द्रीय मन्त्रिपरिषद का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत में प्रांतीय शासन प्रणाली का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- सल्तनतकालीन राजस्व व्यवस्था पर एक लेख लिखिए।
  5. प्रश्न- सल्तनत के सैन्य-संगठन पर प्रकाश डालिए।
  6. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत काल में उलेमा वर्ग की समीक्षा कीजिए।
  7. प्रश्न- सल्तनतकाल में सुल्तान व खलीफा वर्ग के बीच सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
  8. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के पतन के कारणों की व्याख्या कीजिए।
  9. प्रश्न- मुस्लिम राजवंशों के द्रुतगति से परिवर्तन के कारणों की व्याख्या कीजिए।
  10. प्रश्न- सल्तनतकालीन राजतंत्र की विचारधारा स्पष्ट कीजिए।
  11. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के स्वरूप की समीक्षा कीजिए।
  12. प्रश्न- सल्तनत काल में 'दीवाने विजारत' की स्थिति का मूल्यांकन कीजिए।
  13. प्रश्न- सल्तनत कालीन राजदरबार एवं महल के प्रबन्ध पर एक लघु लेख लिखिए।
  14. प्रश्न- 'अमीरे हाजिब' कौन था? इसकी पदस्थिति का मूल्यांकन कीजिए।
  15. प्रश्न- जजिया और जकात नामक कर क्या थे?
  16. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत में राज्य की आय के प्रमुख स्रोत क्या थे?
  17. प्रश्न- दिल्ली सल्तनतकालीन भू-राजस्व व्यवस्था पर एक लेख लिखिए।
  18. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत में सुल्तान की पदस्थिति स्पष्ट कीजिए।
  19. प्रश्न- दिल्ली सल्तनतकालीन न्याय-व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  20. प्रश्न- 'उलेमा वर्ग' पर एक टिपणी लिखिए।
  21. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के पतन के कारणों में सल्तनत का विशाल साम्राज्य तथा मुहम्मद तुगलक और फिरोज तुगलक की दुर्बल नीतियाँ प्रमुख थीं। स्पष्ट कीजिए।
  22. प्रश्न- विदेशी आक्रमण और केन्द्रीय शक्ति की दुर्बलता दिल्ली सल्तनत के पतन का कारण बनी। व्याख्या कीजिए।
  23. प्रश्न- अलाउद्दीन की प्रारम्भिक कठिनाइयाँ क्या थीं? अलाउद्दीन के प्रारम्भिक जीवन पर प्रकाश डालते हुए यह स्पष्ट कीजिए कि उसने इन कठिनाइयों से किस प्रकार निजात पाई?
  24. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी के आर्थिक सुधार व बाजार नियंत्रण नीति का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- अलाउद्दीन की दक्षिण विजय का विवरण दीजिए। उसकी दक्षिणी विजय की सफलता के क्या कारण थे?
  26. प्रश्न- अलाउद्दीन की दक्षिण नीति के क्या उद्देश्य थे, क्या वह उनकी पूर्ति में सफल रहा?
  27. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की विजयों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- 'खिलजी क्रांति' से क्या समझते हैं? संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- अलाउद्दीन की दक्षिण नीति के क्या उद्देश्य थे, क्या वह उनकी पूर्ति में सफल रहा?
  30. प्रश्न- खिलजी शासकों के काल में स्थापन्न कला के विकास पर टिपणी लिखिए।
  31. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी का एक वीर सैनिक व कुशल सेनानायक के रूप में मूल्याँकन कीजिए।
  32. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की मंगोल नीति की आलोचनात्मक समीक्षा कीजिए।
  33. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की राजनीति क्या थी?
  34. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी का शासक के रूप में मूल्यांकन कीजिए।
  35. प्रश्न- अलाउद्दीन की हिन्दुओं के प्रति नीति स्पष्ट करते हुए तत्कालीन हिन्दू समाज की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की राजस्व सुधार नीति के विषय में बताइए।
  37. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी का प्रारम्भिक विजय का वर्णन कीजिये।
  38. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की महत्त्वाकांक्षाओं को बताइये।
  39. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी के आर्थिक सुधारों का लाभ-हानि के आधार पर विवेचन कीजिये।
  40. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की हिन्दुओं के प्रति नीति का वर्णन कीजिये।
  41. प्रश्न- सूफी विचारधारा क्या है? इसकी प्रमुख शाखाओं का वर्णन कीजिए तथा इसके भारत में विकास का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? इसके कारणों, विशेषताओं और मध्यकालीन भारतीय समाज पर प्रभाव का मूल्याँकन कीजिए।
  43. प्रश्न- मध्यकालीन भारत के सन्दर्भ में भक्ति आन्दोलन को बतलाइये।
  44. प्रश्न- समाज की प्रत्येक बुराई का जीवन्त विरोध कबीर के काव्य में प्राप्त होता है। विवेचना कीजिए।
  45. प्रश्न- मानस में तुलसी द्वारा चित्रित मानव मूल्यों का परीक्षण कीजिए।
  46. प्रश्न- “मध्यकालीन युग में जन्मी, मीरा ने काव्य और भक्ति दोनों को नये आयाम दिये" कथन की समीक्षा कीजिये।
  47. प्रश्न- सूफी धर्म का समाज पर क्या प्रभाव पड़ा।
  48. प्रश्न- राष्ट्रीय संगठन की भावना को जागृत करने में सूफी संतों का महत्त्वपूर्ण योगदान है? विश्लेषण कीजिए।
  49. प्रश्न- सूफी मत की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन के प्रभाव व परिणामों की विवेचना कीजिए।
  51. प्रश्न- भक्ति साहित्य पर प्रकाश डालिए।
  52. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन पर एक निबन्ध लिखिए।
  53. प्रश्न- भक्ति एवं सूफी सन्तों ने किस प्रकार सामाजिक एकता में योगदान दिया?
  54. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन के कारण बताइए
  55. प्रश्न- सल्तनत काल में स्त्रियों की क्या दशा थी? इस काल की एकमात्र शासिका रजिया सुल्ताना के विषय में बताइये।
  56. प्रश्न- "डोमिगो पेस" द्वारा चित्रित मध्यकाल भारत के विषय में बताइये।
  57. प्रश्न- "मध्ययुग एक तरफ महिलाओं के अधिकारों का पूर्णतया हनन का युग था, वहीं दूसरी ओर कई महिलाओं ने इसी युग में अपनी विशिष्ट उपस्थिति दर्ज करायी" कथन की विवेचना कीजिये।
  58. प्रश्न- मुस्लिम काल की शिक्षा व्यवस्था का अवलोकन कीजिये।
  59. प्रश्न- नूरजहाँ के जीवन चरित्र का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। उसकी जहाँगीर की गृह व विदेशी नीति के प्रभाव का मूल्यांकन कीजिए।
  60. प्रश्न- सल्तनत काल में स्त्रियों की दशा कैसी थी?
  61. प्रश्न- 1200-1750 के मध्य महिलाओं की स्थिति को बताइये।
  62. प्रश्न- "देवदासी प्रथा" क्या है? व इसका स्वरूप क्या था?
  63. प्रश्न- रजिया के उत्थान और पतन पर एक टिपणी लिखिए।
  64. प्रश्न- मीराबाई पर एक टिप्पणी लिखिए।
  65. प्रश्न- रजिया सुल्तान की कठिनाइयों को बताइये?
  66. प्रश्न- रजिया सुल्तान का शासक के रूप में मूल्यांकन कीजिए।
  67. प्रश्न- अक्का महादेवी का वस्त्रों को त्याग देने से क्या आशय था?
  68. प्रश्न- रजिया सुल्तान की प्रशासनिक नीतियों का वर्णन कीजिये?
  69. प्रश्न- मुगलकालीन आइन-ए-दहशाला प्रणाली को विस्तार से समझाइए।
  70. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व का निर्धारण किस प्रकार किया जाता था? विस्तार से समीक्षा कीजिए।
  71. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व वसूली की दर का किस अनुपात में वसूली जाती थी? ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर क्षेत्रवार मूल्यांकन कीजिए।
  72. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व प्रशासन का कालक्रम विस्तार से समझाइए।
  73. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व के अतिरिक्त लागू अन्य करों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान मराठा शासन में राजस्व व्यवस्था की समीक्षा कीजिए।
  75. प्रश्न- शेरशाह की भू-राजस्व प्रणाली का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
  76. प्रश्न- मुगल शासन में कृषि संसाधन का वर्णन करते हुए करारोपण के तरीके को समझाइए।
  77. प्रश्न- मुगल शासन के दौरान खुदकाश्त और पाहीकाश्त किसानों के बीच भेद कीजिए।
  78. प्रश्न- मुगलकाल में भूमि अनुदान प्रणाली को समझाइए।
  79. प्रश्न- मुगलकाल में जमींदार के अधिकार और कार्यों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- मुगलकाल में फसलों के प्रकार और आयात-निर्यात पर एक टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- अकबर के भूमि सुधार के क्या प्रभाव हुए? संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  82. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व में राहत और रियायतें विषय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  83. प्रश्न- मुगलों के अधीन हुए भारत में विदेशी व्यापार के विस्तार पर एक निबंध लिखिए।
  84. प्रश्न- मुग़ल काल में आंतरिक व्यापार की स्थिति का विस्तृत विश्लेषण कीजिए।
  85. प्रश्न- मुगलकालीन व्यापारिक मार्गों और यातायात के लिए अपनाए जाने वाले साधनों का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- मुगलकाल में व्यापारी और महाजन की स्थितियों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- 18वीं शताब्दी में मुगल शासकों का यूरोपीय व्यापारिक कम्पनियों के मध्य सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
  88. प्रश्न- मुगलकालीन तटवर्ती और विदेशी व्यापार का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  89. प्रश्न- मुगलकाल में मध्य वर्ग की स्थिति का संक्षिप्त विवेचन कीजिये।
  90. प्रश्न- मुगलकालीन व्यापार के प्रति प्रशासन के दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिये।
  91. प्रश्न- मुगलकालीन व्यापार में दलालों की स्थिति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  92. प्रश्न- मुगलकालीन भारत की मुद्रा व्यवस्था पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  93. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान बैंकिंग प्रणाली के विकास और कार्यों का वर्णन कीजिए।
  94. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान प्रयोग में लाई जाने वाली हुण्डी व्यवस्था को समझाइए।
  95. प्रश्न- मुगलकालीन मुद्रा प्रणाली पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  96. प्रश्न- मुगलकाल में बैंकिंग और बीमा पर प्रकाश डालिये।
  97. प्रश्न- मुगलकाल में सूदखोरी और ब्याज की दर का संक्षिप्त विवेचन कीजिये।
  98. प्रश्न- मुगलकालीन औद्योगिक विकास में कारखानों की भूमिका का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  99. प्रश्न- औरंगजेब के समय में उद्योगों के विकास की रूपरेखा का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- मुगलकाल में उद्योगों के विकास के लिए नियुक्त किए गए अधिकारियों के पद और कार्यों का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान कारीगरों की आर्थिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  102. प्रश्न- 18वीं सदी के पूर्वार्ध में भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रवृत्ति की व्याख्या कीजिए।
  103. प्रश्न- मुगलकालीन कारखानों का जनसामान्य के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?
  104. प्रश्न- यूरोपियन इतिहासकारों के नजरिए से मुगलकालीन कारीगरों की स्थिति प

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